By Vrinda Tiwari
इस वतन-ए-हिन्द में मची तबाही की कहानी है ये
शाही इख़्तियारत की खिदमत कर रहे ए हिंदुस्तान के हामील
इन हुकुमकारों की बेईमानी की कहानी है ये
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई मज़हब के नाम पर हुए बटवारे से डर मत ऐ दोस्त
इन दलालों की तो कमाई है ये
लोकतंत्र तो एक मुखौटा है साहब
इन पाक नेताओं द्वारा लायी गयी तानाशाही है ये
मंदिर में अल्लाह और मस्जिद में राम
कभी नहीं
सांप्रदायिकता के नाम पर की जा रही धर्मो की नीलामी है ये
राम बाबरी कश्मीर जामिया इन मुद्दों से गुमराह ना होना
इन जिम्मेदारों की ही तो मेहेरबानी है ये
आज़ादी आज़ादी, इन नारों में छिपी राजनीती के फेर में ना फसना ओ राही
तख़्त के ज़ुल्मोंषितम से लड़ते हुए आज हर हिंदुस्तानी की ज़बानी है ये
हां इस वतन-ए-हिन्द में मची तबाही की कहानी है ये
शंख की आवाज़ पर उठती और अज़ान की आवाज़ पर घर में रौशनी देती हुई वो माँ
इन नेताओं के लिए सबसे बड़ी गलती है ये
हां इस वतन-ए-हिन्द में मची तबाही की कहानी है ये
